कारक – परिभाषा, भेद और उदाहरण : हिन्दी व्याकरण, Karak in Hindi

karak – नमस्कार दोस्तो आप google मे कारक (karak) के बारे मे सर्च करते है । और karak से जुड़े बहुत सारे सवाल भी आपके मन मे आते होंगे। जैसे की –  karak in hindi , (karak kise kahate hain) कारक किसे कहते है ? ,(karak table) कारक सारणी  , (karak ke kitne bhed hote hain) कारक के भेद , (karak in sanskrit, karak ki paribhasha) कारक की परिभाषा ,

karak in hindi

तो मै  आज अपनी इस पोस्ट के माध्यम से आपके इन सब सवालो का जवाब देने वाला हु । जिसके बाद आपको कारक के बारे मे सब कुछ पता चल जाएगा । की कारक और इसके चिन्हो का उपयोग और पहचान क्या है । कारक हिन्दी व्याकरण का महत्वपूर्ण भाग है ।


कारक की परिभाषा 

कारक किसे कहते है ? –  किसी वाक्य मे उपयोग किया गया वह शब्द जिसका क्रिया से संबंध हो उसे कारक कहते है । या दूसरे शब्दो मे बोला जाए तो जो किसी क्रिया की उत्पति मे सहायक हो उसे कारक कहते है ।

सरल शब्दो मे इसको क्रिया को करने वाला कारक कहलाता है ।

कारक शब्द संस्कृत की कृ धातु मे “अक” प्रतत्य को जोड़ने से बनाता है । जिसका हिन्दी मे अर्थ करने वाला है या क्रिया करने से है । हिन्दी व्याकारण मे कारक मूलतः 8 प्रकार के होते है । कर्त्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण, संबोधन कारक है ।

की संस्कृत मे इसकी संख्या को 8 माना गया है ।

कारक के उदाहरण 

  1. मै जा रहा हु ।
  2. वह दौड़ रहा है ।
  3. वह आ रहा है ।
  4. मै खा रहा हु ।
  5. ये सभी वाक्य कोई क्रिया होने के बारे मे बता रहे है ।

कारक के सारणी (karak table)

कारकविभक्तियाँ चिन्ह 
कर्ता ने
कर्म को
करण से, द्वारा
सम्प्रदान को, के लिये, हेतु
अपादान से (अलग होने के अर्थ में)
सम्बन्ध का, की, के, रा, री, रे
अधिकरण  में, पर
सम्बोधन हे! अरे! ऐ! ओ! हाय!

परसर्ग किसे कहते है 

किसी वाक्य मे कारक शब्द की पहचान करवाने वाले शब्द को परसर्ग कहते है ।हिन्दी व्याकरण मे परसर्ग को कारक चिन्ह या कारक विभक्ति कहते है ।


कारक के भेद

हमने उपर भी कारक के भेद के बारे मे बताया है । कारक के 8 प्रकार के भेद हिन्दी व्याकरण मे है  संस्कृत मे भी 8 भेद कारक मे माने जाते है । नीचे 8 कारक के नाम दिये गए है ।

  1. कर्ता (karta karak )
  2. कर्म (karam karak)
  3. करण (karan  karak)
  4. सम्प्रदान (sampradan karak)
  5. अपादान (apadan karak)
  6. सम्बन्ध (sambandh karak)
  7. अधिकरण (adhikaran  karak)
  8. सम्बोधन (sambodhan karak)

1) कर्ता कारक (karta karak)

हिन्दी वाक्य मे संज्ञा या सर्वनाम मे क्रिया करने का बोध करवाते है उसे कर्ता कारक बोला जाता है । कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह ‘ने’ होता है । सर्वनाम शब्दों के बाद ‘ने’ का प्रयोग होता है। जैसे मैंने, तूने, उसने, हमनेने‘ विभक्ति चिन्ह का प्रयोग कर्त्ता कारक के साथ केवल भूतकालिक क्रिया होने पर होता है।

जहा पर कारक चिन्ह नही होता वह प कर्ता को शून्य माना जाता है ।

कर्ता कारक के उदाहरण 

  1. सामान्य भूत – उसने खाना खाया।
  2. आसान भूत – उसने पुस्तक पढ़ी है।
  3. पूर्ण भूत – उसने खाना खाया था ।
  4. संदिग्ध भूत – उसने खाना खाया होगा ।

कुछ और कारक के उदाहरण

  1. विक्रम ने पुस्तक पढ़ी।
  2. मैंने पुस्तक पढ़ी।
  3. उसने पत्र लिखा है ।
  4. पारस ने खाना खाया ।
  5. अजय ने गाड़ी सीखि है ।
  6. विजय ने खाना बनाया है ।

अकर्मक क्रिया के साथ ने कारक चिन्ह का प्रयोग नही होता है । इन्हे अपवाद बोला जाता है जैसे

  • अजय वियज के पास गया है ।
  • वह गा रहा है ।
  • मोर नाच रहा है ।

अपवाद – इसमे कुछ शब्दो को अपवाद शब्द बोला जाता है जैसे – जाना , नहाना , छिकिना , नाचना , थूकना आदि है शब्दो कए साथ ने कारक चिन्ह का प्रयोग नही किया जाता है ।


2) कर्म कारक (karm karak)

जिस वाक्य क्रिया मे का फल कर्ता पर न पड़कर किसी दूसरे संज्ञा या सर्वनाम पर पड़ता है उसे कर्म कारक बोला जाता है ।

सरल शब्दो मे बोला जाए तो जिस शब्द मे कर्ता द्वारा किए गए काम का फल दूसरे पर पड़ता है उसे कर्म कारक बोला जाता है ।

इसका कारक चिन्ह ‘को ‘ है जिसको निर्जीव कर्म के साथ प्रयोग नही किया जाता है । नीचे इसके कुछ वाक्य है

  •  राहुल ने अजय को मारा ।

इसमे कर्म राहुल दावरा किया जा रहा है और इसका फल अजय को भोगना पढ़ रहा है । इसको ही करम कारक बोला जाता है , जिसमे कर्म कोई और कर रहा है और फल कोई और भोग रहा है

कर्म कारक के भेद

कर्म कारक के दो 2 भेद होते है

  1. प्रधान कर्म/मुख्य कर्म /निर्जीव कर्म
  2. अप्रधान कर्म/गौण कर्म /सजीव कर्म

प्रधान कर्म – इस कर्म मे किसी क्रिया या वाक्य से पूर्व क्या शब्द लगाकर सवाल पूछा जाता है जिसे प्रधान कर्म बोला जाता है । इसमे अगर प्रधान और गौण कर्म के एक साथ आने पर गौण कर्म को पहले लिखा जाता है ।

अप्रधान कर्म – इसमे किसी या किसको जैसे शब्द लगाकर सवाल पूछा जाता है ।

कर्म कारक के उदाहरण – विभक्ति चिन्ह को है

  • बच्चा दूध पीता है ।
  • राम ने रावण को मारा ।
  • महेश ने सुरेश को पैसे दिये है ।
  • राम ने राक्षसो को मारा है ।
  • राम पुस्तक पढ़ता है ।
  • बहन ने भाई को मारा।
  • मैंने उसे राम को मारा है ।

हिन्दी पहाड़ा 


3) कारण कारक (karan karak)

किसी वाक्य मे कर्ता जिस माध्यम से क्रिया करता है उसे कारण कारक बोला जाता है । इसका कारक चिन्ह ‘से’ और ‘के द्वारा’ है ।

उदाहरण –

  • राहुल बस से आता है ।
  • राहुल गाड़ी से बाजार जाता है ।
  • चाकू से सेब को काटा गया है ।
  • तुमने कलाम से पत्र को लिखा है ।

4) संप्रदान कारक (sampradan karak)

जिसके लिए किसी क्रिया को किया जाता है । उसे संप्रदान कारक बोला जाता है ।

सरल शब्दो मे बोला जाए तो किसी दूसरे के लिए किसी काम या क्रिया को किया जाता है । इसमे कारक चिन्ह ‘के’ का उपयोग किया जाता है पर कभी कभी कुछ शब्दो मे ‘को’ कारक चिन्ह का प्रयोग भी किया जाता है

संप्रदान कारक का उदाहरण

  • राम ने बच्चो के लिए आम लाया ।
  • सुरेश ने राजू को पुस्तक दी है
  • राजू मोहन के लिए बाजार गया ।
  • बच्चा माँ के लिए रो रहा है ।
  • मोहन सुनील रवि के लिए गेंद लाता है।
  • हम पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं।
  • पीता बच्चे को खिलौना देती है।
  • माँ बेटे के लिए सेब लायी।
  • राजू ने श्याम को गाड़ी दी।

इंग्लिश ABCD 


5) अपादान कारक (apadan karak)

अपादान का सरल अर्थ होता है – अलग होना । जिस संज्ञा या सर्वनाम से किसी वस्तु या वाक्य के अगल होने का बोध या पता होता है उसे अपादान बोला जाता है । इसमे कारक चिन्ह ‘से’ होता है

दूसरे शब्दो मे परिभाषा – जब हमे किसी संज्ञा या सर्वनाम या वाक्य से हमे किसी वस्तु या व्यक्ति से का दूसरी वस्तु/व्यक्ति से अलग होना या उनकी तुलना करने का भाव उतपन्न हो, उसे अपादान कारक बोला जाता है ।

उदाहरण

  • हिमालय पर्वत से गंगा निकलती है।
  • पेड़ से पत्ता गिरता है।
  • राम के हाथ से फल गिरता है।
  • लड़का गाड़ी से गिरा है।
  • आसमान से बूँदें गिरी।
  • दूल्हा घोड़े से गिर पड़ा।
  • कविता बस से गिरि गई ।
  • शंकर मोहन से अच्छा गाना गाता है ।

6) संबन्ध कारक (sampradan karak)

जैसा की इस कारक का नाम है संबन्ध । अर्थात जब किसी वाक्य मे किसी संज्ञा या सर्वनाम से संबन्ध होने का पता चलता है उसे संबन्ध कारक बोला जाता है इसकी मुख्य पहचान ‘का’ ‘की’ ’के’ ‘रा’ ‘रे’ ‘री’ ‘ना’ जैसे कारक शब्द होते है ।

उदाहरण

  • वह मेरा घर है ।
  • वह राम का घर है ।
  • यह राहुल की किताब है ।
  • ये कपड़े मेरे है
  • मेरी किताब मेज पर है ।
  • यह मेरी गाड़ी है ।
  • यह मेरा गाँव है ।
  • यह राम का पैसा है ।
  • यह कविता मेरी दुकान है ।

51 रंगो के नाम 


7) अधिकरण कारक (adhikaran karak)

जिस वाक्य मे संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है उसे अधिकरण कारक बोला जाता है । इसकी मुख्य पहचान ‘मे’ ‘पै’ ‘पर’ ‘भीतर’ जैसे शब्दो का प्रयोग होता है ।

उदाहरण

  • घर पर राम है।
  • घोंसले में चिङिया है।
  • सड़क पर गाड़ी खड़ी है।

8) सम्बोधन कारक (sambodhan karak)

इस कारक मे संज्ञा के जिस रूप मे किसी को पुकारा या सावधान किया जाता है उसे सम्बोधन कारक बोला जाता है । इसका सम्बन्ध न क्रिया से और न किसी दूसरे शब्द से होता है। यह वाक्य से अलग रहता है। इसका कोई कारक चिन्ह भी नहीं है। पर कुछ चिन्ह है जैसे हे ! , हो ! , अजी ! , रे! ,आदि है ।

उदाहरण  

  • सावधान !
  • खबरदार !
  • हे! जरा इधर आ जाओ ।
  • लड़के ! रुक जाओ ।

हिन्दी गिनती 


कारक से जुड़े सवाल

Question – कारक किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं?

Ans – किसी वाक्य मे उपयोग किया गया वह शब्द जिसका क्रिया से संबंध हो उसे कारक कहते है । या दूसरे शब्दो मे बोला जाए तो जो किसी क्रिया की उत्पति मे सहायक हो उसे कारक कहते है ।

और सरल शब्दो मे इसको क्रिया को करने वाला कारक कहलाता है ।

हिन्दी में आठ कारक होते हैं– कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन

Question – कारक के आठ भेद कौन कौन से हैं?

Ans – कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन

Question – हिंदी में कारक कितने हैं?

Ans – हिन्दी में आठ कारक होते हैं– कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन

Question – कारक कैसे पहचानते हैं?

Ans – कारक को किसी शब्द मे प्रयोग किए गए कारक चिन्हो के द्वारा से पहचना जाता है ।

Question – कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह क्या है?

Ans – कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह ने है कर्ता को क्रिया करने वाला बोला जाता है ।

Question – ने विभक्ति का प्रयोग कहाँ होता है?

Ans – ने विभक्ति कर्ता कारक मे प्रयोग किया जाता है ।

Question – विभक्ति चिन्ह क्या है?

विभक्ति चिन्ह व्याकरण में शब्द (संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण) के आगे लगा हुआ वह प्रत्यय या चिह्न विभक्ति कहलाता है जिससे पता लगता है की ये शब्द का संबन्ध किस कारक से है उसके लिए कारक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है ।

Question – संस्कृत में कितने कारक होते हैं

संस्कृत मे 8 कारक होते है । और हिन्दी मे भी 8 कारक होते है ।


कारक का विडियो


निष्कर्ष – 

प्यारे दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे आर्टिकल के माध्यम से समझ आ गया होगा की (karak in hindiया karak) कारक क्या होता है ?  अगर आपको कोई भी कठिनाई आए तो आप हम से नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं आप का कमेंट हमारे लिए महत्वपूर्ण है आगे भी इसी तरह से आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से और चीजों के बारे में जानकारी प्रदान करता रहूँगा।


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