Mallikarjuna Jyotirlinga – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कथा

यहां शिवा संग शिव विराजमान Mallikarjuna Jyotirlinga 

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर एक हिन्दूओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है यह मंदिर पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर श्रीसैलम नाम के पर्वत पर, आंध्र प्रदेश भारत में स्थित है। मल्लिकार्जुन मंदिर में स्थित ज्योति लिंग भगवान शिव के 12 ज्योति लिंग में से दूसरा ज्योति लिंग माना जाता है। ‘मल्लिका’ माता पार्वती का नाम है, जबकि ‘अर्जुन’ भगवान शंकर को कहा जाता है।यहा भगवान शिव को मल्लिकार्जुन के रूप में पूजा की जाती है और लिंगम द्वारा इसका प्रतिनिधित्व किया जाता है।

Mallikarjuna Jyotirlinga

भगवान शिव की पत्नी पार्वती को भ्रामम्बा के रूप में चितित्र गया है। यह मंदिर 183 मीटर (600 फीट) की ऊंचाई वाली 152 मीटर (49 9 फीट) और 8.5 मीटर (28 फीट) की ऊंचाई वाली दीवारों से बना हुआ है।

इस मंदिर की दीवारों पर कई मूर्तियां बनी हुई है। इस मंदिर अधिकांश आधुनिक परिर्वतन विजयनगर साम्राट के राजा हरिहर के समय के दौरान किए गए थे।
स्कंद पुराण में श्री शैल काण्ड नाम का अध्याय है। इसमें उपरोक्त मंदिर का वर्णन है। इससे इस मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। तमिल संतों ने भी प्राचीन काल से ही इसकी स्तुति गायी है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब इस मंदिर की यात्रा की, तब उन्होंने शिवनंद लहरी की रचना की थी।

जब कार्तिकेय, शिव-पार्वती से हुए थे नाराज

Mallikarjuna jyotirlinga

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव के दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश विवाह के लिए आपस में कलह कर रहे थे। कार्तिकेय के अनुसार वह बड़े है इसलिए उनका विवाह पहले होना चाहिए किन्तु गणेश अपना विवाह पहले करना चाहता थे। इस कलह को खत्म करने के लिए भगवान शिव और पार्वती ने दोनो में से जो पहले पृथ्वी के 7 बार परिक्रमा करेगा उसका विवाह पहले होगा। (mallikarjuna jyotirlinga)

यह सुन कर कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए परन्तु गणेश बुद्धिमान थे उन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर भगवान शिव और माता पार्वती को एक आसन पर बैठने के लिए कहा और गणेश ने अपने माता पिता के 7 बार परिक्रमा कर से पृथ्वी की परिक्रमा से प्राप्त होने वाले फल की प्राप्ति के अधिकारी बन गए। उनकी चतुर बुद्धि को देख कर शिव और पार्वती दोनों काफी खुश हुए और उन्होंने श्रीगणेश का विवाह कार्तिकेय से पहले करा दिया।

जब तक स्वामी कार्तिकेय सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके वापस आए, उस समय तक श्रीगणेश जी का विवाह विश्वरूप प्रजापति की पुत्रियों सिद्धि और बुद्धि के साथ हो चुका था, जिनसे उन्हें ‘क्षेम’ तथा ‘लाभ’ नामक दो पुत्र भी प्राप्त हो चुके थे।

देवर्षि नारद ने स्वामी कार्तिकेय से यह सारा वृतान्त बताया। श्रीगणेश का विवाह और उन्हें पुत्र लाभ का समाचार सुनकर स्वामी कार्तिकेय नाराज हो गयेे। इस प्रकरण से नाराज कार्तिक ने शिष्टाचार का पालन करते हुए अपने माता-पिता के चरण छुए और वहाँ से चल दिये।
माता-पिता से अलग होकर कार्तिक क्रौंच पर्वत पर रहने लगे। माता पार्वती पुत्र स्नेह से व्याकुल थी इसलिए भगवान शिव जी को लेकर क्रौंच पर्वत पर पहुँच गईं। कार्तिकेय को क्रौंच पर्वत पर अपने माता-पिता के आगमन की सूचना मिल गई और

वे वहाँ से तीन योजन अर्थात छत्तीस किलोमीटर दूर चले गये। कार्तिकेय के चले जाने पर भगवान शिव उस क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गये तभी से वे ‘मल्लिकार्जुन’ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए। इस प्रकार सम्मिलित रूप से ‘मल्लिकार्जुन’ नाम उक्त ज्योतिर्लिंग का जगत में प्रसिद्ध हुआ।
रीसैलम से 137 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैदराबाद का राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। यहां से आप बस या फिर टैक्सी के जरिए मल्लिकार्जुन पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन मर्कापुर रोड है जो श्रीसैलम से 62 किलोमीटर की दूरी पर है। mallikarjuna jyotirlinga

ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, इसी पर्वत के पास चन्द्रगुप्त नामक एक राजा की राजधानी थी. एक बार उसकी कन्या किसी विशेष विपत्ति से बचने के लिए अपने माता-पिता के महल से भागकर इस पर्वत पर चली गई. वहां जाकर वो वहीं के ग्वालों के साथ कंद-मूल और दूध आदि से अपना जीवन निर्वाह करने लगी. उस राजकुमारी के पास एक श्यामा गाय थी, जिसका दूध प्रतिदिन कोई दुह लेता था.

एक दिन उसने चोर को दूध दुहते हुए देख लिया. जब वो क्रोध में उसे मारने दौड़ी तो गौ के निकट पहुंचने पर शिवलिंग के अतिरिक्त उसे कुछ न मिला. बाद में शिव भक्त राजकुमारी ने उस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और तब से भगवान मल्लिकार्जुन वहीं प्रतिष्ठित हो गए

अश्वमेध यज्ञ का मिलता है फल

अनेक धर्म ग्रंथों में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का बखान किया गया है. महाभारत के अनुसार, श्री शैल पर्वत पर भगवान शिव-पार्वती का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल प्राप्त होता है. श्री शैल पर्वत शिखर के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं. उसे अनंत सुखों की प्राप्ति होती है और वो आवागमन के चक्र से मुक्त हो जाता है.

जो मनुष्य इस लिंग का दर्शन करता है, वो समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और अपने परम अभीष्ट को सदा-सर्वदा के लिए प्राप्त कर लेता है. भगवान शंकर का ये लिंगस्वरूप भक्तों के लिए परम कल्याणप्रद है.

और घूमने के स्थान ★

【मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगशक्ति पीठ】

Mallikarjuna Jyotirlinga Shakti Peeth In Hindi

शक्ति पीठ का आशय उन स्थानों से हैं जहां देवी सती के अवशेष गिरे थे। पौराणिक कथाओं से पता चलता हैं कि देवी सती के पिता राजा दक्ष द्वारा भगवान भोलेनाथ का अपमान न सहपाने की वजह से देवी सती ने आत्मदाह कर लिया था। भगवान शिव ने देवी सती के जलते हुए शरीर को उठा कर तांडव किया और इस दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से सटी के शरीर के टुकड़े कर दिए थे। जिनके बाद उनके शरीर के अंग गिरे

उनके शरीर के अंग जहां-जहां गिर हैं उस स्थान को शक्ति पीठ के रूप में जाना गया हैं। माना जाता हैं कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में उनके ऊपरी होंठ के यहां गिरने का परिणाम हैं। श्रीशैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर 51 महाशक्ति पीठों में से एक है।

【 अक्क महादेवी गुफ़ाएँ】

Akkamahadevi Caves Srisailam In Hindi

अक्क महादेवी गुफ़ाएँ तेलंगाना में श्रीशैलम से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक दर्शनीय स्थल हैं। यह प्राचीन पर्यटन स्थल बारहमासी कृष्णा नदी के पास स्थित हैं। यह अपने प्रवेश द्वार पर बने प्राकृतिक मेहराब के लिए अधिक जानी जाती हैं।

【श्री ब्रह्मराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर】

Mallikarjuna Swamy Temple Srisailam In Hindi

श्रीशैलम शहर में कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्री ब्रह्मराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर यहां का एक प्रमुख दर्शनीय स्थान हैं। माना जाता हैं कि यह ऐतिहासिक मंदिर 6वीं शताब्दी का हैं। विजय नगर के राजा हरिहर द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।

【श्रीशैलम पातालगंगा】

Patala Ganga Srisailam In Hindi

पातालगंगा  श्रीशैलम का प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जैसे ही कृष्णा नदी पहाड़ी से मुड़ती है यह अपने साथ आध्यात्मिकता का समावेश लिए होती हैं। इस नदी में आप डुबकी लगा सकते हैं माना जाता हैं कि इसके पानी में डुबकी लगाने से त्वचा रोग दूर हो जाता हैं। यहां आने वाले पर्यटक रोपवे की सवारी का लुत्फ उठा सकते हैं। सवारी के दौरान राजसी नदी और हरे-भरे घने जंगल का नजारा देख सकते हैं।

【श्रीशैलम टाइगर रिजर्व】

Srisailam tiger

श्रीशैलम टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 3568 एकड़ में फैला हुआ है जोकि इसे भारत के सबसे बड़े बाँध में शामिल करता हैं। श्रीशैलम बांध और नागार्जुनसागर बांध आरक्षित क्षेत्र में बने हुए हैं। यहां पाए जाने वाले जानवरों में टाइगर के अलावा आपको तेंदुआ, चीतल, इंडियन पैंगोलिन, सांभर हिरण, शेवरोट, सुस्त भालू, ढोल, ब्लैकबक, चिंकारा और चौसिंघा दिखाई दे सकते हैं। इस क्षेत्र में अन्य सरीसृप शामिल मगरमच्छ, सॉप, आदी है।

【शिखरेश्वर मंदिर श्रीशैलम】

Shikaresvara Temple Srisailam In Hindi

शिखरेश्वर मंदिर श्रीशैलम के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित हैं जोकि सिखाराम के नाम से प्रसिद्ध हैं और शिखरेश्वर स्वमी को समर्पित हैं। मंदिर यहां की प्राचीन नदी कृष्णा के पास ही स्थित हैं। शिखरेश्वर भगवान शिव के एक अन्य रूप को जाना जाता हैं यह स्थान खूबसूरत दृश्यों से भरा हुआ हैं।

【लिंगाला गट्टू श्रीशैलम】

Lingala Gattu Srisailam In Hindi

भगवान शिव के प्रति भक्ति भाव के लिए पहचानी जाने वाली यह जगह जो श्रीशैलममें कृष्णा नदी के किनारे के लिए जाना जाता हैं। इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ की छवि देखने को मिलती हैं। इसी विश्वास ने नदी के किनारे को लिंगला गट्टू नाम दिया हैं। पर्यटक यहां की यात्रा करना काफी हद तक पसंद करते हैं।

【हाटकेश्वर मंदिर श्रीशैलम】

Hatkeshwar Temple Srisailam In Hindi

हाटकेश्वर मंदिर श्रीशैलम में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में एक हैं और यह भगवान शिव को समर्पित हैं। इस मंदिर के बारे में कहां जाता हैं कि यह वही मंदिर हैं जहां श्री शंकराचार्य ने अपना एक दार्शनिक ग्रंथ बनाया था।

【चेंचू लक्ष्मी ट्राइबल म्यूजियम श्रीशैलम】

Chenchu Lakshmi Tribal Museum Srisailam In Hindi

श्रीशैलम में देखने वाली जगह चेनचू लक्ष्मी संग्रहालय में आंध्र प्रदेश की जनजाति समृद्ध आजीविका और संस्कृतियों के साक्ष को समेट के रखा हुआ हैं। यहां की जनजातियों द्वारा एकत्रित किया गया शहद भी संग्रहालय में रखा जाता हैं।

【साक्षी गणपति मंदिर】

Sakshi Ganapati Temple

साक्षी गणपति मंदिर खूबसूरत परिवेश के बीच स्थित भगवान गणेश को समर्पित एक दर्शनीय स्थल हैं। इस मंदिर के बारे में भक्तो का मानना हैं कि भगवान गणेश इस बात का रिकॉर्ड रखते हैं कि कौन-कौन मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आए हैं। यह रिकॉर्ड वह भगवान शिव के पास पहुंचा देते हैं। मंदिर के गर्वग्रह तक जाने के लिए भक्तो को 10  सीढ़ीयों का सफ़र तय करना पड़ता हैं। जिसके बाद सबके प्रिय भगवान गणेश जी के दर्शन होते है।

【हेमरेड्डी मल्लम्मा मंदिर श्रीशैलम】

Hemareddy Mallamma Temple Srisailam In Hindi

श्रीशैलम के दर्शनीय स्थानों में हाल ही में हेमारेड्डी मल्लम्मा मंदिर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा हैं। यह मंदिर शहर के प्रसिद्ध मंदिर मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर के पास ही स्थित हैं। इस दर्शनीय मंदिर में एक आश्रम भी बना हुआ है। आपको इस मंदिर जाकर दर्शन जरूर करना चाहिए।


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