shiv mahapuran in Hindi | शिव महापुराण की कथा

shiv mahapuran in Hindi – हिन्दू या सनातन धर्म मे बहुत सारे पुराण और ग्रंथ है जैसे की – विष्णु पुराण , ब्र्म्ह पुराण ,अग्नि पुराण जैसे और भी ग्रंथ है । उसी तरह शिव पुराण है जिसमे भगवान शिव और उनके रुद्रो ,उनके विवाह और भी बहुत सारी बाते बताई गई है ।

shiv mahapuran

शिव के लिए बहुत तरह के रूपों की कल्पना की गई। गूढ़, समझ से परे ईश्वर, मंगलकारी शंभो, बहुत नादान भोले, वेदों, शास्त्रों और तंत्रों के महान गुरु और शिक्षक, दक्षिणमूर्ति, आसानी से माफ कर देने वाले आशुतोष, स्रष्टा के ही रक्त से रंगे भैरव, संपूर्ण रूप से स्थिर अचलेश्वर, सबसे जादुई नर्तक नटराज, आदि। यानी जीवन के जितने पहलू हैं, उतने ही पहलू शिव के बताए गए हैं shiv mahapuran katha in hindi.

‘शिवपुराण’ एक प्रमुख तथा सुप्रसिद्ध पुराण है, जिसमें परात्मपर परब्रह्म परमेश्वर के ‘शिव’ (कल्याणकारी) स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा एवं उपासना का सुविस्तृत वर्णन है। भगवान शिवमात्र पौराणिक देवता ही नहीं, अपितु वे पंचदेवों में प्रधान, अनादि सिद्ध परमेश्वर हैं एवं निगमागम आदि सभी शास्त्रों में महिमामण्डित महादेव हैं। वेदों ने इस परमतत्त्व को अव्यक्त, अजन्मा, सबका कारण, विश्वपंच का स्रष्टा, पालक एवं संहारक कहकर उनका गुणगान किया है। श्रुतियों ने सदा शिव को स्वयम्भू, शान्त, प्रपंचातीत, परात्पर, परमतत्त्व, ईश्वरों के भी परम महेश्वर कहकर स्तुति की है। ‘शिव’ का अर्थ ही है- ‘कल्याणस्वरूप’ और ‘कल्याणप्रदाता’। शिव भगवान को

बहुत सारे नाम है जैसे की – शिव , भोला , महाकाल , त्रिनेत्र धारी , गंगा धारी , जठा धारी , त्रिशूल धारी , भस्म धारी आदि ।

परमब्ह्म के इस कल्याण रूप की उपासना उटच्च कोटि के सिद्धों, आत्मकल्याणकामी साधकों एवं सर्वसाधारण आस्तिक जनों-सभी के लिये परम मंगलमय, परम कल्याणकारी, सर्वसिद्धिदायक और सर्वश्रेयस्कर है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि देव, दनुज, ऋषि, महर्षि, योगीन्द्र, मुनीन्द्र, सिद्ध, गन्धर्व ही नहीं, अपितु ब्रह्मा-विष्णु तक इन महादेव की उपासना करते हैं। इस पुराण के अनुसार यह पुराण परम उत्तम शास्त्र है। इसे इस भूतल पर भगवान शिव का वाङ्मय स्वरूप समझना चाहिये और सब प्रकार से इसका सेवन करना चाहिये। इसका पठन और श्रवण सर्वसाधनरूप है। इससे शिव भक्ति पाकर श्रेष्ठतम स्थिति में पहुँचा हुआ मनुष्य शीघ्र ही शिवपद को प्राप्त कर लेता है।

शिव महापुरान मे बहुत सारे भाग है जिनकी लिस्ट हम आपको नीचे बता रहे है । उसके बाद हम सभी भागो की कथा भी बताने वाले है ।

shiv mahapuran ke bhag  

  1. भगवान शिव से हुई कल भैरव की उत्पत्ति
  2. सती शिव की कथा
  3. शिव का रौद्र रूप है वीरभद्र
  4. 51 शक्तिपीठों की स्थापना
  5. शिव – पार्वती का विवाह
  6. भगवती तुलसी की कथा
  7. अर्धनारिशवर शिव की कथा
  8. समुद्र मंथन की कथा
  9. गंगा की जठओ मे बांध लिया शिव ने
  10. विष्णु को दिया सुदर्शन चक्र
  11. राम जी शंकर जी का युद्ध
  12. हनुमान अवतार की कथा
  13. अर्जुन को पशुपति अस्त्र
  14. ग्रहपत्यावतर की कथा
  15. केतकी फूल की कथा
  16. चंद्रमा को शाप से मुक्ति
  17. शिव का क्रोध
  18. शिव और सर्प के रिश्ते
  19. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
  20. मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
  21. महाकालेशवर  ज्योतिर्लिंग
  22. ओमकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
  23. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
  24. वैधनाथ ज्योतिर्लिंग
  25. त्रमबककेशवर ज्योतिर्लिंग
  26. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
  27. नागेशवर ज्योतिर्लिंग
  28. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
  29. घुसनेश्वर ज्योतिर्लिंग 

इन सभी कथा और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग की कथा हम आपको बताने वाले है  आप इस सभी को पढ़ के शिव पुराण के बारे और भगवान शिव के बारे मे बहुत सारी बाते जन सकते हो । मनुष्य में जब तक राग, द्वेष, ईर्ष्या, वैमनस्य, अपमान तथा हिंसा जैसी अनेक पाशविक वृत्तियां रहती हैं, तब तक वह पशुओं का ही हिस्सा है। पशुता से ‍मुक्ति के लिए भक्ति और ध्यान जरूरी है। shiv mahapuran.

भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है। अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की तुलना में शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। वे तो औघड़ बाबा हैं। जटाजूट धारी, गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मालाएं, शरीर पर बाघम्बर, चिता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वे सारे विश्व को अपनी पद्चाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं। इसीलिए उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है। उनकी वेशभूषा से ‘जीवन’ और ‘मृत्यु’ का बोध होता है। शीश पर गंगा और चन्द्र –जीवन एवं कला के द्योतम हैं। शरीर पर चिता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है। यह जीवन गंगा की धारा की भांति चलते हुए अन्त में मृत्यु सागर में लीन हो जाता है। shiv mahapuran की सम्पूर्ण कथा ।

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